
अमृतसर: अवैध आव्रजन पर ट्रंप प्रशासन की कड़ी कार्रवाई के तहत, एक अमेरिकी सैन्य विमान 104 भारतीय प्रवासियों को लेकर भारत पहुँचा। C-17 परिवहन विमान 5 फरवरी 2025 को अमृतसर के श्री गुरु राम दास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नवीनीकृत कार्यकाल में इस तरह का पहला निर्वासन था।
इन प्रवासियों की वापसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी वाशिंगटन यात्रा से ठीक पहले हुई है, जहाँ आव्रजन (इमिग्रेशन) प्रमुख चर्चा का विषय हो सकता है। निर्वासित भारतीय पंजाब, हरियाणा, गुजरात सहित विभिन्न राज्यों से ताल्लुक रखते हैं और बीते वर्षों में अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश कर चुके थे।
ट्रंप प्रशासन की सख्त नीति और सैन्य विमान का उपयोग
यह निर्वासन ट्रंप प्रशासन के सख्त आव्रजन कानूनों को लागू करने के व्यापक अभियान का हिस्सा है। इस तरह की दूरस्थ उड़ानों के लिए सैन्य विमान का उपयोग अभूतपूर्व है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका अवैध प्रवासियों को लेकर कड़ा रुख अपना रहा है।
अमृतसर पहुँचने पर, निर्वासितों की पहचान और दस्तावेज़ों का गहन सत्यापन किया गया। पंजाब के प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने इस निर्वासन पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इनमें से कई भारतीय अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे थे और उन्हें स्थायी निवास का अवसर मिलना चाहिए था।
भारत का रुख: अवैध आव्रजन के खिलाफ सख्त नीति
भारत सरकार ने फिर दोहराया है कि वह अवैध आव्रजन का समर्थन नहीं करती, खासकर क्योंकि इसका संबंध संगठित अपराध से भी जोड़ा जाता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा,
“यदि कोई भारतीय नागरिक, चाहे वह अमेरिका में हो या दुनिया के किसी भी देश में, यदि वह बिना वैध दस्तावेजों के रह रहा है, तो हम उसे वापस लेने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि हमें उनके भारतीय होने की पुष्टि करने वाले दस्तावेज़ उपलब्ध कराए जाएँ।”
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर
इस निर्वासन का प्रभाव भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों पर भी पड़ सकता है। दोनों देश रक्षा और व्यापार के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के लिए लगातार बातचीत कर रहे हैं। हाल के दिनों में दोनों देशों ने सैन्य उपकरणों की बिक्री और सह-उत्पादन समझौतों पर चर्चा की है। आगामी मोदी-ट्रंप बैठक से इन रिश्तों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।
राजनीतिक विवाद और वैश्विक प्रवासन नीति पर असर
भारत में इस निर्वासन को लेकर राजनीतिक विवाद भी देखने को मिल रहा है। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, लेकिन सरकार का कहना है कि अपने नागरिकों को वापस लेना भारत की संप्रभु जिम्मेदारी है।
जैसे-जैसे वैश्विक प्रवासन नीतियाँ बदल रही हैं, इस तरह की घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि देशों को अपनी घरेलू नीतियों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बीच संतुलन बनाना होगा।