
प्रयागराज – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ को भारत की आध्यात्मिक एकता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का जीवंत उदाहरण बताया है। “एकता का महाकुंभ: युग परिवर्तन की ध्वनि” शीर्षक से अपने ब्लॉग में उन्होंने इस अभूतपूर्व आयोजन और इसकी राष्ट्रीय महत्वता पर अपने विचार साझा किए।
एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए पीएम मोदी ने इस विशाल आयोजन पर अपनी भावनाएं प्रकट कीं। उन्होंने कहा, “140 करोड़ देशवासियों की आस्था जिस प्रकार इस महाकुंभ में एकत्रित हुई, वह अविस्मरणीय है।” उन्होंने इसे केवल एक धार्मिक आयोजन न मानते हुए इसे राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बताया।
आस्था और परंपरा का ऐतिहासिक संगम
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ को आध्यात्मिक क्रांति की संज्ञा दी, जहां संतो, महात्माओं, युवाओं और बुजुर्गों सहित देशभर के लोग एक अद्वितीय श्रद्धा के साथ एकत्रित हुए। उन्होंने इस भव्य आयोजन की तुलना भगवान श्रीराम और निषादराज की ऐतिहासिक भेंट से करते हुए कहा कि यह महाकुंभ भारत की गहरी जड़ों में स्थापित एकता और समरसता का संदेश देता है।
पीएम मोदी ने श्रद्धालुओं के संगम स्नान की भावना को याद करते हुए कहा, “हर श्रद्धालु का एक ही संकल्प था—पवित्र संगम में स्नान।” उन्होंने इस आयोजन को एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर बताते हुए कहा कि इसमें पूरे देश की भक्ति और विश्वास का प्रवाह देखने को मिला।
महाकुंभ: प्रबंधन कौशल का अद्वितीय उदाहरण
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ के सफल आयोजन को प्रबंधन और प्रशासनिक कौशल का बेहतरीन उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन आधुनिक प्रबंधन और नीतिगत अध्ययन के लिए एक प्रेरणा है। “आज विश्व में ऐसा कोई और आयोजन नहीं है, जहां बिना किसी औपचारिक निमंत्रण के करोड़ों लोग एकत्र होते हों।” उन्होंने इसे एक असाधारण घटना बताया, जिसकी विश्वभर में चर्चा हो रही है।
भविष्य का संदेश: स्वच्छ नदियां और सांस्कृतिक गौरव
पीएम मोदी ने इस अवसर पर भारत की नदियों को स्वच्छ रखने के अभियान को भी बल दिया। उन्होंने कहा, “गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर खड़े होकर मेरा संकल्प और मजबूत हुआ—नदियों की सफाई केवल पर्यावरण का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जीवन का भी अभिन्न अंग है।” उन्होंने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे हर नदी को जीवनदायिनी माँ का दर्जा दें और उनकी स्वच्छता सुनिश्चित करें।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कैसे लाखों श्रद्धालु, जो महाकुंभ में शरीक नहीं हो सके, फिर भी त्रिवेणी संगम का जल अपने घर ले जाकर इस पुण्य अवसर से भावनात्मक रूप से जुड़े रहे। उन्होंने इसे भारत की आस्था और एकजुटता की मिसाल बताया।
भारत के विकास और एकता की ओर बढ़ता कदम
महाकुंभ को भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस आयोजन ने सांस्कृतिक आत्मविश्वास और राष्ट्रीय एकता की नई नींव रखी है। उन्होंने इसे केवल एक धार्मिक आयोजन न मानते हुए इसे भारत के भविष्य की दिशा तय करने वाला आयोजन बताया।
उन्होंने महाकुंभ की सफलता सुनिश्चित करने में प्रशासन, सरकार और स्वयंसेवकों के प्रयासों की सराहना की और उनके समर्पण के लिए आभार प्रकट किया।
जैसे ही महाकुंभ संपन्न हुआ, प्रधानमंत्री मोदी ने इसे एक बड़ा संदेश देते हुए कहा—“भारत की आध्यात्मिक चेतना जागृत हो रही है और देश की एकता व विकास की यात्रा और अधिक सशक्त हो गई है।”